सामाजिक विज्ञान
(अर्थशास्त्र)
अध्याय-1: विकास
NCERT SOLUTIONS
(पृष्ठ संख्या 16)
Question 1. सामान्यत: किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है?
- प्रतिव्यक्ति आय
- औसत साक्षरता दर
- लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
- उपरोक्त सभी
उत्तर – d) उपरोक्त सभी
Question 2. निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?
- बांग्लादेश
- श्रीलंका
- नेपाल
- पाकिस्तान
उत्तर –b) श्रीलंका
Question 3. मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है, तो चौथे परिवार की आय क्या है?
- 7,500 रुपये
- 3,000 रुपये
- 2,000 रुपये
- 60,000 रुपये
उत्तर – d) 60,000 रुपये
Question 4. विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदंड का प्रयोग करता है? इस मापदंड की, अगर कोई है, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर – विभिन्न देशों के वर्गीकरण में विश्व बैंक द्वारा उपयोग किए जाने वाले मुख्य मापदंड-
प्रति व्यक्ति आय वाले देश जिनके प्रति वर्ष 12616 डॉलर प्रति वर्ष और उससे अधिक की राशि है, उन्हें अमीर देश कहा जाता है और जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1035 अमेरिकी डॉलर या उससे कम है उन्हें कम आय वाले देश कहते हैं। भारत कम मध्यम आय वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि 2012 में प्रति व्यक्ति आय केवल 1530 डॉलर प्रति वर्ष थी। मध्य पूर्व और कुछ अन्य छोटे देशों को छोड़कर अमीर देशों को सामान्यतः विकसित देश कहा जाता है।
सीमाएँ-
इस मापदंड की सीमाएं यह है कि जबकि औसत आय प्रतिस्पर्धा के लिए उपयोगी है, यह हमें यह नहीं बताती है कि लोगों के बीच यह आय कितनी है, एक देश में अधिक न्यायसंगत वितरण हो सकता है। लोग न तो बहुत अमीर हो सकते हैं और न ही बहुत गरीब हैं लेकिन एक ही देश में एक ही औसत आय के साथ, एक व्यक्ति अत्यंत समृद्ध हो सकता है, जबकि अन्य बहुत खराब हो सकते हैं इसलिए, औसत आय की विधि किसी देश की सही तस्वीर नहीं देती है। यह मापदंड लोगों के बीच असमानताओं को छुपाता है।
Question 5. विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर – विकास मापने के विश्व बैंक के मापदण्ड का आधार बिंदु औसत अथवा प्रतिव्यक्ति आय हैं। परंतु यू. एन.डी. पी. अर्थात संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के विकास मापदण्ड में विभिन्न देशों के विकास की तुलना वहाँ के लोगों के शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर की जाती हैं।
Question 6. हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – औसत का प्रयोग किसी भी विषय या क्षेत्र का अनुमान विभिन्न स्तरों पर लगाने के लिए किया जाता है। जैसे-किसी देश में सभी लोग अलग-अलग आय प्राप्त करते हैं किंतु देश के विकास स्तर को जानने के लिए प्रतिव्यक्ति आय निकाली जाती है जो औसत के माध्यम से ही निकाली जाती है। इससे हमें एक देश के विकास के स्तर का पता चलता है। किंतु औसत का प्रयोग करने में कई समस्याएँ आती हैं। औसत से किसी भी चीज़ का सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसमें असमानताएँ छिप जाती हैं। उदाहरणतः किसी देश में रहनेवाले चार परिवारों में से तीन परिवार 500-500 रुपये कमाते हैं तथा एक परिवार 48,000 रुपये कमा रहा है जबकि दूसरे देश में सभी परिवार 9,000 और 10,000 के बीच में कमाते हैं। दोनों देशों की औसत आय समान है किंतु एक देश में आर्थिक असमानता बहुत ज्यादा है, जबकि दूसरे देश में सभी नागरिक आर्थिक रूप से समान स्तर के हैं। इस प्रकार ‘औसत’ तुलना के लिए तो उपयोगी है किंतु इससे असमानताएँ छिप जाती हैं। इससे यह पता नहीं चलता कि यह आय लोगों में किस तरह वितरित है।
Question 7. प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर – सबसे धनी राज्य होने के बावजूद पंजाब में केरल की तुलना में शिशु मृत्यु दर अधिक है। पंजाब की तुलना में केरल में कक्षा 1 से 4 में निवल उपस्थिति दर अधिक है। इससे पता चलता है कि मानव विकास सूचकांक में केरल एक बेहतर राज्य है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग करना चाहिए लेकिन इसे अन्य मापदण्डों के परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है।
(पृष्ठ संख्या 16)
Question 8. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर – ग्रामीण क्षेत्रों में जलावन की लकड़ी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। शहरी क्षेत्रों में रसोई के ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल अधिकतर घरों में होता है। इसके अलावा वाहनों के लिये पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल होता है। आज से पचास वर्ष बाद जलावन की लकड़ी मिलना कठिन हो जायेगा क्योंकि तेजी से वनोन्मूलन हो रहा है। जीवाश्म ईंधन भी तेजी से घट रहा है। इसलिए हमें किसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत को जल्दी ही विकसित करना होगा। गाँवों में गोबर गैस इसका एक अच्छा समाधान हो सकता है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से पूरे देश की ऊर्जा की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
Question 9. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर – धारणीयता का विषय विकास के लिए अति मह्त्त्व्पूर्ण है क्योंकि लगभग हर व्यक्ति यही चाहता है कि विकास का स्तर निरन्तर ऊँचा रहे तथा यह आने वाली भावी पीढ़ी के लिए भी कम से कम इसी स्तर पर बना रहे। चूँकि विकास अपने साथ विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय एवं अन्य दुष्परिणाम साथ लेकर आता है जो राष्ट्रीय तथा राज्य सीमाओं का ख़्याल नहीं करते। और यही कारण है कि बहुत से वैज्ञानिक विकास के वर्तमान प्रकार और स्तर को धारणीय नहीं मानते। इस संदर्भ में विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर ज्ञान का एक नया क्षेत्र हैं जिसमें वैज्ञानिक, दशर्रनिक, अर्थशास्त्री और विभिन्न सामासिक वैज्ञानिक परस्पर मिल-जुल कर कार्य कर रहे हैं।
Question 10. धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन है, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। यह कथन विकास की चर्चा में केसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर – यह मशहूर कथन महात्मा गांधी का है। हम जानते हैं कि धरती के पास इतने संसाधन हैं कि वे हमारे जीवन में कम नहीं पड़ने वाले। लेकिन हमें अपनी जिंदगी के आगे भी सोचना होगा और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिये सोचना होगा। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का दहन करते रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ नहीं बचेगा। इसलिए हमें अपने लोभ पर काबू पाना होगा और प्रकृति से केवल उतना ही लेने की आदत डालनी होगी जितना जरूरी है।
अगर एक भी व्यक्ति लालची हो जाए जैसे किसी शक्तिशाली देश का राष्ट्र अध्यक्ष यह चाहे कि केवल उसी का या उसी के देश का वर्चस्व दुनिया में हो और वह इसके लिए इतना लालच में अंधा हो जाए कि वह विनाशकारी हथियारों का प्रयोग करके अपनी जिद पूरी करना चाहे तो सम्पूर्ण मानव जाती विशाल भूमण्डल उसके सारे संसाधन कुछ ही समय में राख हो जाएँगे और पर्याप्त संसाधन नहीं रहेंगे इसलिए यह कथन सही है कि सम्पूर्ण मानव जाती को लालच छोड़कर अपनी बुद्धि का सदुपयोग करते हुए सकुशल नियोजित ढंग से उसका उपयोग करें।
Question 11. पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर – कूड़े-कचरे और अवांछित गंदगी से जल, वायु और भूमि का दूषित होना ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है। पर्यावरण में गिरावट के बहुत से उदाहरण हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- जल प्रदूषण- नदियों, झीलों और समुद्रों में बहाए गए कूड़े-कचरे या औद्योगिक अपशिष्ट जल को प्रदूषित करते हैं। इससे जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से जलीय जीव मर जाते हैं। जहाजों से रिसनेवाले तेल से समुद्री जीवों को हानि होती है।
- वायु प्रदूषण- कारखानों के धुएँ तथा मोटर वाहनों के धुएँ वायु को प्रदूषित करते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य और वन्य जीवन दोनों को ही हानि होती है।
- भूमि प्रदूषण– भूमि पर कारखानों द्वारा, घरों या अन्य स्रोतों द्वारा कूड़ा-कचरा आदि फेंकने से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कृषि क्षेत्रों में अधिक उर्वरकों का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म होती है तथा ये उर्वरक भूमि को प्रदूषित करते हैं।
बढ़ती हुई जनसंख्या, संसाधनों का दुरुपयोग, अधिक मात्रा में पेड़ों को काटने के कारण पर्यावरण में गिरावट बहुत तेजी से हो रही है और इसके बहुत से उदाहरण हमारे आसपास हैं।
Question 12. तालिका में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन सा देश सबसे ऊपर है और कौन सा सबसे नीचे।
क्रम. |
देश |
प्रतिव्यक्ति आय अमरीकी डॉलर में |
जन्म के समय संभावित आयु |
साक्षरता दर 15+ वर्ष की जनसँख्या के लिए |
3 स्तरों के लिए सकल नामांकन अनुपात |
विश्व सूचकांक (HDI) का क्रमांक |
---|---|---|---|---|---|---|
1. |
श्रीलंका |
4390 |
74 |
91 |
69 |
93 |
2. |
भारत |
3139 |
64 |
61 |
60 |
126 |
3. |
म्यांमार |
1027 |
61 |
90 |
48 |
130 |
4. |
पकिस्तान |
2225 |
63 |
50 |
35 |
134 |
5. |
नेपाल |
1490 |
62 |
50 |
61 |
138 |
6. |
बांग्लादेश |
1870 |
63 |
41 |
63 |
137 |
उत्तर – विभिन्न मापदण्डों पर सबसे ऊपर और सबसे नीचे के देश नीचे दिये गये हैं-
मापदण्ड |
सबसे ऊपर |
सबसे नीचे |
---|---|---|
प्रति व्यक्ति आय |
श्रीलंका |
म्यानमार |
अधिकतम आयु |
श्रीलंका |
म्यानमार |
साक्षरता दर |
श्रीलंका |
बांग्लादेश |
सकल नामांकन अनुपात |
श्रीलंका |
पाकिस्तान |
मानव विकास सूचकांक |
श्रीलंका |
नेपाल |
Question 13. नीचे दी गई तालिका में भारत में व्यस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. <18.5kg/ m) का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित Questionों का उत्तर दीजिए।
राज्य |
पुरुष (%) |
महिला (%) |
---|---|---|
केरल |
8.5 |
10 |
कर्नाटक |
17 |
21 |
मध्य प्रदेश |
20 |
23 |
- केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
- क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के लगभग 40 प्रतिशत लोग अल्पपोषित क्यों हैं, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर –
- उपरोक्त आँकड़े केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तर को दर्शाते हैं। इसके अनुसार केरल में 8.5 प्रतिशत पुरुष और 10 प्रतिशत महिलाएँ अल्प-पोषित हैं, जबकि मध्य प्रदेश में 28 प्रतिशत पुरुष और 28 प्रतिशत महिलाए अल्प-पोषित हैं। इसका अर्थ है कि मध्य प्रदेश में अधिक लोग अल्प-पोषित हैं। अर्थात मध्य प्रदेश की तुलना में केरल के लोगों का पोषण स्तर बेहतर है।
- देश में पर्याप्त अनाज होने के बावजूद देश के 40 प्रतिशत लोग अल्प-पोषित हैं क्योंकि अभी भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। ये व्यक्ति इतना भी नहीं कमा पाते कि अपने लिए दो समय का खाना प्राप्त कर सकें। इसलिए देश में अनाज उपलब्ध होने के बावजूद ये उसे खरीद नहीं पाते और अल्प-पोषिते रहते हैं।